यह ज़िन्दगी बचपन मे खेले जाने वाले खेल सांप सीढ़ी की तरह ही तो है।जीवनसफ़र में हमें मित्रों,परिजनों,सहकर्मियों,परिचितों के रूप में अनेक मुसाफिर मिलते हैं।इनमे से कुछ तो साँप की तरह हमे बार बार डसते रहते हैं।हमारे पतन का कारण बनते हैं।कुछ मुसाफिर सीढ़ी की तरह हमे जीवन मे सदा ऊंचाइयों की ओर ले जाते हैंं।हमारेे सुखद मुस्तकविल की चाह रखते हैं।जैसे मात पिता,अच्छे दोस्त,अच्छे बच्चे।।