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बर्दाश्त

ज़्यादतियां इतनी भी न हों, की बर्दाश्त से बाहर हो जाएं बेरुखी इतनी भी न हो,की मेलमिलाप की सभी संभावनाएं खत्म हो जाएं।।                 Snehpremchand