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प्रतिक्रिया thought by anehpremchand

क्रिया की प्रतिक्रिया करना भी सब को नही आता,जाने किन किन विकारों से ग्रस्त हो जाते है सारे , क्यों सही समय पर उनको बोलना नही आता?

सुधार thought by snehpremchand

गलत बात का समर्थन करके हम व्यक्ति में हर संभावित सुधार को खत्म कर देते हैं।               स्नेहप्रेमचंद

शब्द thought by snehpremchand

शब्द से बेहतर नहीं कोई मरहम, नहीं शब्द से घातक कोई प्रहार। सोच कर बोलना,बोल कर सोचने, से सदा ही होता है बेहतर, करो इस सत्य को स्वीकार।। शब्द समझौता, शब्द तकरार, शब्द ज्ञान, है शब्द मति विस्तार।। शब्द प्रभाव है,शब्द किरदार, शब्द इज़हार ए अहसास है, है शब्द सोच और शब्द सुविचार।। शब्द चेतना,शब्द वेदना शब्द विनम्रता शब्द अहंकार।। शब्द गरिमा,शब्द गौरव, शब्द बन जाते तिरस्कार। शब्द झूठ है,शब्द है सत्य शब्द घृणा है शब्द प्यार।। शब्द तहज़ीब है शब्द तालीम है, है शब्द ही मन के भावों की तस्वीर। इतनी ताकत है शब्दों में, बदल सकते हैं ये तकदीर।। शब्द वायदा है,प्रतिज्ञा है,शब्द प्रभाव है, समायोजन,प्रतिबद्धता है शब्द, शब्द भावों का प्रवाह है।। शब्द सुकून है,शब्द जुनून है, है शब्द हौसला,शब्द ही परिष्कार। भावों का इज़हार शब्द है, है शब्द ही बिगड़े का सुधार। शब्द चेतना है,शब्द सोच है, शब्द कर्म,परिणाम का आधार। शब्द करुणा,शब्द ममता, शब्द चोट शब्द आभार।। शब्द सम्बन्ध हैं शब्द ही नाते, शब्द प्रेम का सुंदर आकार। शब्द तहज़ीब है शब्द नज़ाकत शब्द प्रार्थना है शब्द उपदेश। शब्द सुलह है शब्द क्लेश।। शब्द उपमा है शब्द त...

मंत्र या गाली

कोई शब्द मंत्र बन जाता है,कोई शब्द गाली कहलाता। शब्दों से ऊपर होते हैं भाव,ये फलसफा क्यों समझ नही आता।। स्नेहप्रेमचंद

सही गलत

गलत का साथ देने वाला सही होते हुए भी गलत हो जाता है और सही का साथ देने वाला गलत होते हुए भी सही,जैसे महाभारत का कर्ण और रामायण का विभीषण।।

माँ बेटी

एक ही औरत माँ की बेटी और बेटी की माँ भी होती है। समय बीतने के साथ साथ वो माँ की बेटी कम और बेटी की माँ अधिक बन जाती है। पर इसका मतलब यह कतई न समझना कि वो अपनी माँ को भूल जाती है,उसकी माँ तो उसमें सदा सदा के लिए जीवित रहती है,उसकी बातों में,ख्यालों में,सोच में,उसके क्रियाकलापों में,उसकी जीवनशैली में,उसके संस्कारों में। यहाँ पर मौत का भी वश नही चलता, जितना गहरा नाता या लगाव औरत का अपनी माँ से होगा,उसी का दूसरा रूप उसकी बेटी में उसे दिखाई देगा,यह सत्य है।।            स्नेहप्रेमचंद

कोशिश है मेरी thought by snehpremchand

" कोशिश है मेरी"  माँ बाप के विषय में लिख कर एक सामाजिक चेतना लाने की कोशिश है मेरी। जो चले गए उन्हें शत शत नमन, और भावभीनी श्रद्धांजलि है मेरी,पर जो इस जहाँ में हैं,उन्हें सम्मान ,तवज्जो,प्रेम,और मीठे बोल दिलवाने की छोटी सी कोशिश है मेरी। वो जो नही जानते कि वे क्या नही जानते,उन्हें कुछ जन वाने की कोशिश है मेरी। सब जानते हैं,सब मानते हैं,बस हनुमान की तरह याद दिलाने की छोटी सी कोशिश है मेरी। सबसे अमीर है वो ,जो माँ बाप के संग में रहता है,उस अमीर को उसके ख़ज़ाने को पहचान करवाने की छोटी सी कोशिश है मेरी। माँ बाप के संग बिताये गए पल अनमोल होते हैं,उन अनमोल पलों को हर कोई सहेजे,बस ये छोटी सी कोशिश है मेरी। हर कोई श्रवण कुमार नही बन सकता, पर इस सोच का अंकुर पल्लवित करने की छोटी सी कोशिश है मेरी। बाद में मन मे न रह जाये मलाल कोई, सहज बनाने की छोटी सी कोशिश है मेरी। हम से ही सीखती है हमारी अगली पीढ़ी,इस सुसंस्कार की अलख जगाने की  छोटी सी कोशिश है मेरी। संसार मे ही न रहे कोई वृद्धाश्रम, हरआशियाने के मंदिर में माँ बाप के अस्तित्व को स्वीकार कराने की छोटी सी कोशिश है मेरी। मैं कोई ज्ञानी ...