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खैर खवा

आह thought by snehpremchand

जब कोई चीज़ टूट जाती है,उसको फिर से जोड़ा जाता है।दोस्तों वो पहले सी नही जुड़ती।और दिल तो बहुत नाज़ुक है,वो रफू नही होता,उसके टूटने की दरार सदा रहती है बरकरार।बेहतर है किसी का दिल किसी भी हालत में कभी न तोड़ा जाय, बेशक उसके दिल टूटने की आवाज़ नही होती पर पूरी कायनात को अहसास ज़रूर होता है,यही कारण है कभी कभी बेमौसम बारिश आ जाती है,कभी बाढ़,कभी सुनामी और कभी महामारी।आह की शाब्दिक आवाज़ भले ही न सुने,पर पूरे ब्रह्मांड में इसके दर्द को महसूस किया जा सकता है। कुदरत,प्रकृति भी एक वक़्त के बाद बदला लेे लेती है।।यह सत्य है।।      Snehpremchand

हल नहीं है हाला thought by snehpremchand

हर समस्या का हल तो नहीं हो सकती है हाला।  ला देती है तमस जीवन में,हर लेती है उजाला।। जाने कहां कहां, कितनी तादाद में बनी हुई हैं मधुशाला??  कितने ही आशियाने उजड़ जाते हैं इसके नशे में,  कितने ही भूखे पेटों को नहीं मिलता निवाला।। बेहिज, स्वार्थी बना देती है इंसा को, जैसे अपने ही रंग में हो रंग डाला।।       Snehpremchand

दरकिनार thought by snehpremchand

एक नहीं,दो नहीं, एक बार में ही बता दे कोई, आखिर कितनी बार??? हर मर्तबा दरक जाता है  वजूद का कोई न कोई हिस्सा, करूं भी तो करूं कितनी बार दरकिनार।। अपने ही जब देते हैं जख्म, न मिले कहीं मरहम, नासूर बन जख्म जेहन में  हो जाता है शुमार। दरगुजर भी किया और  कितनी ही बार किया दरकिनार।। पर हर बार चोटिल हुई भावनाएं, टूटे हर बार मन के तार।।       Snehpremchand

सच्चा मीत thought by snehpremchan

 सूना और उदास है यह जग घर ना हो इसमें संगीत । वादय लहरिया झंकृत कर देती हैं तार दिलों के, आज की नहीं युगों युगों पुरानी है यह रीत।।और अधिक नहीं आता कहना,  संगीत ही है जिंदगी का सच्चा मीत।।।

कैसा आया है ये साल??

सच में ये

कविता

तुम गणित की थ्योरम से, मैं हिंदी की पावन कविता।  तुम तर्क विज्ञान का,  मैं बहती रही बनकर सरिता।।              Snehpremchand