Skip to main content

Posts

नित निखारना है

नहीं बिखरना है

आओ मौन से कुछ संवाद करते हैं Thought by Sneh premchand

आओ मौन से कुछ संवाद करते हैं पड़ गई हैं जो मनों में गांठें, उन्हें खोलने का प्रयास करते हैं।।            स्नेह प्रेमचन्द

Thought on mother by Sneh Prem chand

जब सांझ ढली तूं याद आईं जब भोर हुई तूं याद आई जब दोपहर हुई तूं याद आईं जब रात हुई तूं याद आईं है कौन सा ऐसा पहर ओ मां जब याद मुझे न तूं आई।।

मोती पिरोना Thought by Sneh premchand

अंधे के आगे रोना

मत रखो जकड़े Thought by Sneh Premchand

मत रखो, जकड़े चित चिंता,आशंका,  डर या  फिर कोई भी अवसाद विषाद।। मरने से पहले भी क्यों मरना, हो मन का कोना कोना आबाद।। होनी तो हो कर ही रहती है, चाहे कितनी ही कर लो फ़रियाद।।। लम्हा दर लम्हा गुज़र रही है ज़िन्दगी, फिर गुजरे लम्हे आते हैं याद।।         स्नेह प्रेमचन्द

नहीं चलेगा Thought by Sneh Premchand

नहीं चलेगा

सखी,बिटिया,सहेली या सलाहकार Thought by Sneh Prem chand