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बचपन

अतीत की चौखट पर

मासूमियत

वो सब देखता है((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

वो सब देखता है,कहता कुछ नहीं,करता है। कोई औला नहीं कर सकते हम उससे, अपने भविष्य के फार्म इंसा अपने वर्तमान की लेखनी से भरता है।।           स्नेह प्रेमचंद

वो याद तो तब आएं

साज,गीत,संगीत है बेटी

आज तेरी फिर याद आई