Skip to main content

Posts

अब्दुल कलाम

धर्मनिरपेक्षता को महत्वपूर्ण बता गए

अखंड ज्योति(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

सार्थक लेखन((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

प्रीत निभाई((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

सुदामा से कान्हा ने अजब सी प्रीत निभाई। पांचाली की सुन कर बिनती,भरी सभा मे लाज बचाई। विदुर के घर मे कहा कर भाजी भेद भाव की रेखा मिटाई।

चलो न मन ((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

चलो मन वृन्दावन की ओर, प्रेम का रस जहाँ छलके है। माँ की ममता जहाँ महके है। चिड़ियों से आंगन चहके है। सदभाव जहाँ डाले है डेरा, न कुछ तेरा,न कुछ मेरा, आती समझ जिसको जहाँ ये ऐसे घाट की ओर। जहाँ जात पात का भेद नही है, मज़हब की जहाँ हो न लड़ाई। ऐसी वसुंधरा क्यों न बनाई??? हो जाये मनवा विभोर।

एपीजे अब्दुल कलाम((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

ए ==क नायाब कृति कुदरत की थी जो, नाम है उसका अब्दुल कलाम।।   पी ==या ज्ञान का प्याला मेहनत की चम्मच से उसने, पूरा विश्व उन्हें करे सलाम।। जे ==ब कर्म की, लग्न के सिक्के,  दिया कभी ना खुद को विराम।। अब==दुल कलाम थी हस्ती एक ऐसी, हर कोई बन गया उनका कद्रदान।। दु ==खी है हर मन भीतर से आज नहीं रही यह हस्ती महान।। ल ==गन लगी बचपन से ऐसी, करना है पूरा जो देखा ऊंचा सपना।। क ==भी ना थकना कभी ना रुकना, फिर सोचो जो भी, हो जाता है अपना।। ला ==वा सा जलता रहा प्रेरणा का उनके भीतर, अनखोजीअनदेखी राहों का कर डाला सफर।। म ==जबूत हौसला बुलंद इरादे,  धीरज की पगडंडी पर कर्म की लाठी से पार कर ली अपनी डगर।।