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एक किसी के न होने से

एक किसी के न होने से सूना लगता है संसार,वो एक कोई और नही,होता है वो माँ का प्यार,जीवन के साज की सबसे मधुर सरगम है माँ,तपते मरुधर में सबसे निर्मल ठंडी छाँव है माँ,सहजता है माँ,आशा है माँ,मिलन है माँ,संसार रूपी कीचड़ में खिला सबसे सुंदर कमल है माँ,सब रिश्ते हैं फीके,खोखले ,माँ के बाद गहता जाता है अहसास,कितने खुशकिस्मत होते हैं वो,होती है माँ जिनके पास,बेशक सोच कर देख लो,माँ के सिवाय कोई रिश्ता निस्वार्थ नही मिलेगा,खुद तो साथ नही रह पाते प्रभु,पर उनके रूप में माँ का गुलाब हर आंगन में खिलेगा

जिक्र और जेहन दोनो में ही

अतीत के दस्तावेज

प्रकृति में जैसे हरियाली

जब भी तूं मुस्कुराती थी

जो बीत गई सो बात गई

असली स्वरूप