Skip to main content

Posts

समय

बेशक

पता साहिल का

कुछ लोग जेहन में ऐसे बस जाते हैं

समय की गोद से

समय की गोद से निकल कर 2021 देखो बनने चला है इतिहास,यूँ ही बीतते रहते हैं साल ज़िन्दगी के,करते चलो तुम हास परिहास,लो दर्द उधारे किसी के,आये तुम्हारे कारण किसी के लबों पर मुस्कान,मलाल नही रहेंगे गिर जीवन में,जीवन हो जायेगा वरदान,कुछ बहुत ही अपने जुदा हुए इस बरस,कुछ अपने जुड़ भी जाते है,आवागमन का है ये चक्र ही ऐसा,हम खुद को बीएस एक मोहरा पाते हैं।। समय संग निश्चित हैं झड़ेंगे पीले पात पर असमय ही जब हरी बेल मुरझा जाएं जब,कैसे माने उसे ईश्वर की सौगात???

हैसियत और हसरतें

झट से आ जाती थी खोलने कपाट