हर सफर हो जाता है आसान, गर तुम साथ हो। हर समस्या का मिल जाता है समाधान गर तुम साथ हो। हर रिश्ता बन जाता है मधुर गर तुम साथ हो। एक दुआ है ईश्वर से आज, दोनों का ताउम्र यूं हीं हाथों में हाथ हो।।
कहे प्रेमवचन सुनो मेरे साथियों क्या भाई दूज पर्व का है तुम्हे अहसास। भाई जैसा कोई न दूजा हर बहन को हो भाई से ये आस।। आस न टूटे,विश्वास न छूटे ताउम्र हो एक दूजे के मन मे वास।। बहुत गहरा हिना से भी गहरा है ये नाता। खून के रिश्ते,हों इतने पक्के,दोनो को ही हो इसको निभाना आता। दोनो के ही जीवनसाथी तो बड़ी देर से जीवन मे आये है। पर भाई बहन ने तो बचपन के अनुभव,कब से संग में बिताए है।। इस खास बात का दोनो को ही हो अहसास। अपनी सोच का रिमोट न दे हम किसी दूसरे के हाथ मे,विवेक और दिल तो है हमारे भी पास।।
कभी कभी नहीं अक्सर मेरे दिल में ख्याल आता है अपनों के बिना सच कितना सूना है संसार। कोई राग ना हो कोई द्वेष ना हो,कोई कष्ट ना हो कोई क्लेश ना हो,हो निर्मल मन,न हो अहंकार।। किस बात के मन में मरोड़े, रहना है जब दिन यहां चार। बहुत छोटी है जिंदगी मनभेद के लिए, दूरियों की न चिने हम दीवार।। जाने कब आ जाए शाम जीवन की, सद्भाव ही हों हमारी सोच का आधार।। स्नेह प्रेमचंद