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चलो ना चलते हैं पापा *हमारा प्यार हिसार*((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा)(

*चलो ना चलते हैं लाडो* *हमारा प्यार हिसार* क्या होता है पापा वहां?? *मुझे शब्दों के आईने से  करवाओ ना दीदार* सुन प्रश्न बेटी का बोले पापा  *जहां संवेदना,प्रेम,स्वच्छता,जागरूकता, जिज्ञासा,कर्मठता एक ही छत तले करते हैं निवास* *हर इतवार दौड़े चले आते हैं यहां चुनिंदा शहर के मतवाले, जैसे पहुपन में होती है सुवास* वाह पापा!  कितनी अच्छी जगह है! *फिर तो सबको आना चाहिए हर इतवार* *अहम से वयम का यहां बजता है शंखनाद, कर्मठता की चलती है बयार* हां बिटिया चलो और बताता हूं तुमको,कैसा है ये हमारा प्यार हिसार परिवार *स्वेच्छा से आते हैं सब यहां, किसी बाध्यता की यहां नहीं होती दरकार* *एक से बढ़ कर एक यहां हैं अति उम्दा कलाकार* *प्रदूषण मुक्त हो शहर हमारा स्वच्छता,सौंदर्य और जागरूकता की त्रिवेणी बहती है यहां लगातार* *सुन आप की बातें आज मेरी समझ को यही आया है समझ, बतलाती हूं उसका सार* *5 वर्ष के बच्चे से 80 वर्ष तक  के बुजुर्ग आते हैं यहां, शिक्षा संग पल्लवित होते हैं संस्कार* मैं भी बोलूंगी अपनी  सखियों को आ जाओ ना इस इतवार

पिता है तो

पिता है तो बाजार का हर खिलौना अपना है, पिता है तो सच होता हर सपना है, आस है पिता,विशवास है पिता,सच मे बहुत ही खास है पिता।।

पिता है तो

पिता है तो बाजार का हर खिलौना अपना है, पिता है तो सच होता हर सपना है, आस है पिता,विशवास है पिता,सच मे बहुत ही खास है पिता।।

अथक और सतत प्रयास

बच्चों की हर उपलब्धि के पीछे पिता के अथक और सतत प्रयास बेशक पृष्टभूमि में रहते हों, पर पिता बच्चों को सदैव अग्रणीय देखना चाहता है।

मेहनत और आलस्य

जन्नत की ना कभी करी मन्नत((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*जन्नत की कभी करी ना मन्नत जब तलक साथ था मां जाई और मां आपका* *जन्नत का दूजा पर्याय रही दोनों  ही,कितना मधुर और अपनत्व भरा साथ था आपका* *देख ली सारी दुनिया मैने नहीं मिला विकल्प दूजा आज तलक कोई आप का* *एक अलग ही माटी से बनाया था ईश्वर ने दोनों को सच में ही नहीं कोई सानी आप का*

Poem on Love(( thought by Sneh premchand))