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प्रेम से सुंदर नहीं कोई अहसास(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

प्रेम भरा हो तेरा संसार(( दुआ बुआ स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

अ __नन्त गगन से हों ऊंचे सपने, धरा सी शीतलता रखना बरकरार ना__ राज नहीं हैरान हैं हम, किस्मत बना देती है जोड़ी सात  समंदर पार य__ह पल है जश्न के आगाज का, बना दो इस लम्हे को यादगार एक दुआ है हम सब की ओर से, हो प्रेम भरा दोनों का सुंदर संसार स___लामत रहो,खुश रहो, विविध हैं हम विभिन्न नहीं, प्रेम ही जीवन का आधार

अपने तो अपने होते हैं(( दुआ बुआ स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

अ_____ पने तो अपने होते हैं  सदा देते हैं प्रेम का उपहार ना_____  छोड़ें कभी साथ उनका,  दुआओं भरा उनका संसार य_____ ह पल है उत्सव का  बना दो उसे तुम यादगार स_____ लामत रहो,खुश रहो प्रेम ही जीवन का आधार

प्रेम से सुंदर कोई अहसास नहीं

प्रेम ना जाने मजहब कोई(( दुआ बुआ स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*प्रेम ना जाने मजहब कोई, जाने ना प्रेम कोई  जाति,भाषा, देस की दीवार* *प्रेम तो दस्तक है दिल की  दिल पर, प्रेम ही हर रिश्ते का आधार* *एक दुआ है ईश्वर से आज जीवन में मिलें खुशियां अपार* *प्रेम चमन में अंकुर प्रेम के ही उगते हैं प्रेम से सुंदर हो जाता है संसार* *आज जन्मदिन पर आपके देता है दिल यही उपहार* *मतभेद बेशक हो जाए पर मनभेद ना हो कभी, आए ना चित में कोई विकार* *प्रेम से पहले आता सम्मान है हो ना रेखा ये कभी पार*  GOD BLESS YOU DEAR 

एक ही वृक्ष

एक ही वृक्ष के हैं हम फल,फूल,पत्ते,कलियाँ,अंकुर और हरी भरी शाखाएँ,विवधता है बेशक बाहरी स्वरूपों में हमारे,पर मन की एकता की मिलती हैं राहें, हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई, हैं सब आपस में भाई  भाई,एक खून है,एक ही तन है,इंसा ने ही है ये जात पात बनाई,वसुधैव कुटुम्बकम की भावना काश की हमने होती अपनाई, फिर ना बनाता जश्न कोई किसी की मौत का,न हमने सरहद समझी होती परायी,जीयो और जीने दो के सिद्धांत की,क्यों नही हमने घर घर अलख जलाई,आतंकवाद का हो जाये  खात्मा,ईद दिवाली हो सब ने संग मनाई,सुसंस्कारों की घुट्टी पीले अब हर इंसा, बदल दे अपनी सोच की राहें, धरा बन जायेगी स्वर्ग फिर बंध,ूअपने लाल को खो कर किसी माँ की नही निकलेंगी आहें,एक ही वृक्ष के हैं हम फल,फूल,पत्ते और हरी भरी शाखाएँ

जन्नत की ना करी कभी मन्नत