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यूं हीं चलना साथ साथ जीवन के सफर में ओ हमसफर

यूं हीं चलना साथ साथ जीवन के सफर में ओ हमसफर,हैं तुमसे ही जीवन की खुशियां सारी हर सफर है मंजिल से भी सुहाना संग  तेरे, मेरे मन मंदिर के ओ पुजारी लम्हा लम्हा बरस 29 बीते संग तेरे खिली संग तेरे ही जीवन की फुलवारी शेष जीवन भी विशेष हो संग तेरे, अर्ज सुन लेना मेरी बनवारी कुछ कर दरगुज़र,कुछ कर दरकिनार यही मूलमंत्र है सुखद दांपत्य जीवन का, प्रेम ही इस नाते का आधार खून का नहीं है ये नाता समर्पण, विश्वाश, सत्य और स्नेह का, कर के देखो तनिक विचार हिना सा होता है ये नाता, जो हौले हौले धानी से श्यामल हो जाता

मां

माँ केवल माँ नही होती, माँ होती है हक़ और अधिकार सहजता ,उल्लास,पर्व है माँ, माँ जीवन को देती है संवार जिजीविषा है माँ,उमंग है माँ, एक माँ ही तो करती है इंतज़ार हर रिश्ते से भारी पड़ता है माँ का रिश्ता,चाहे करो या न करो स्वीकार पतंग है जीवन तो डोर है माँ,  लंबी मावस के बाद,  सबसे उजली भोर है माँ शिक्षा है मां संस्कार है मां सच में खुशी और अधिकार है मां जीवन के तपते मरुधर में, मां सबसे ठंडी सी छाया खुशी हो या फिर हो कोई गम मां का नाम जेहन में आया नसीहत की पक्की वसीयत है मां मां से ही पूर्ण होता परिवार मां केवल मां ही नहीं होती मां होती है हक और अधिकार माँ है तो जाने का बैग भी  झट से हो जाता है तैयार अब चिढ़ाता है किसी कोने में पड़ा हुआ,नही होंगे कभी माँ के दीदार मन में तो सदा बसी रहोगी माँ, सच थी कितनी तुम समझदार भांति भांति के मोतियों से बनाया माँ तूने कितना अद्भुत  कितना प्यारा, जीने का सहारा प्रेमहार *मां कहीं जाती नहीं है रहती है सदा हमारे विचारों में* *हर धूप छांव में आज भी आएगी नजर,जरा झांक कर तो देखो मन के गलियारों में*

मां केवल मां नहीं होती(हृदय उद्गार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

माँ केवल माँ नही होती, माँ होती है हक़ और अधिकार सहजता ,उल्लास,पर्व है माँ, माँ जीवन को देती है संवार जिजीविषा है माँ,उमंग है माँ, एक माँ ही तो करती है इंतज़ार हर रिश्ते से भारी पड़ता है माँ का रिश्ता,चाहे करो या न करो स्वीकार पतंग है जीवन तो डोर है माँ,  लंबी मावस के बाद,  सबसे उजली भोर है माँ शिक्षा है मां संस्कार है मां सच में खुशी और अधिकार है मां जीवन के तपते मरुधर में, मां सबसे ठंडी सी छाया खुशी हो या फिर हो कोई गम मां का नाम जेहन में आया नसीहत की पक्की वसीयत है मां मां से ही पूर्ण होता परिवार मां केवल मां ही नहीं होती मां होती है हक और अधिकार माँ है तो जाने का बैग भी  झट से हो जाता है तैयार अब चिढ़ाता है किसी कोने में पड़ा हुआ,नही होंगे कभी माँ के दीदार मन में तो सदा बसी रहोगी माँ, सच थी कितनी तुम समझदार भांति भांति के मोतियों से बनाया माँ तूने कितना अद्भुत  कितना प्यारा, जीने का सहारा प्रेमहार *मां कहीं जाती नहीं है रहती है सदा हमारे विचारों में* *हर धूप छांव में आज भी आएगी नजर,जरा झांक कर तो देखो मन के गलियारों में*

सांस सांस

*सांस सांस* आती है याद तूं, जैसे बारिश में हो बरसता पानी *लम्हा लम्हा* हो जाता था अनमोल तुझ संग  जैसे मां कहती हो बचपन में कोई परियों की कहानी *रेजा रेजा* सी हो गई है रूह तेरे जाने से, सकारात्मकता से भरी थी तेरी जिंदगानी *बूटा बूटा* हरा हरा सा लगता था संग तेरे, जैसे तपते सहरा में हो कोई सांझ सुहानी *नूर नूर* सा टपकता था तेरे अस्तित्व से, यूं हीं तो नहीं थी दुनिया तेरी दीवानी *हूर हूर* सी लगती थी तूं इन नयनों को, परेशान नहीं कर पाती थी तुझे कोई परेशानी सच में तुझ सा कोई नहीं मां जाई! *हानि धरा की लाभ गगन का* तेरे बिछोडे की यही निशानी सच में तूं धार नहीं पूरा का पूरा सागर थी, जिंदगी कुछ और नहीं, है तेरी मेरी कहानी

अल्फाज और अहसास

जिंदगी के एक मोड़ पर मिल गए दोनों अल्फाज और अहसास करने लगे कुछ ऐसी बातें, वार्तालाप बन गया उनका अति खास अहसास ने कहा कुछ तूं अल्फाज से,मुझे देते हो तुम अभिव्यक्ति,रहुगा ताउम्र तुम्हारा शुक्रगुजार अल्फाज भी बोला मुस्कुरा कर मुझ से पहले स्थान आता है आपका,आप होते हो,तभी मेरी सार्थकता को किया जाता है स्वीकार आप हो तो मैं हूं आप बिन मुझे जाने कौन??? अहसास ने गले लगा कर कहा अल्फाज से, तुम ना होते तो मेरे भाव भी रह जाते मौन तुम मुझ से, मैं तुम से मुझे तो इतनी सी बात समझ में आई है हम दोनों हैं तभी तो हमने जग के आगे कहानी अंजु कुमार की सबको सुनाई है भावों को अल्फाजों का परिधान लेखनी ने ही तो पहनाया है कृपा बनी रहे मां सरस्वती की, आज दिल ने ये नगमा  गाया है

CHOICE IS OURS (( THOUGHT ANNA DHAWAN)

यूं तो अगणित गुण हैं राम के,पर 16 गुणों के ये हैं नाम(( स्तुति स्नेह प्रेमचंद द्वारा)

यूं तो अगणित गुण हैं राम के, पर *16 गुणों* के ये हैं नाम एक भी गुण गर कर लें समाहित, हो जाएं तीर्थ, हो जाएं धाम **अतिशय प्यारे राम हमारे सांस सांस में बसते राम** *चरित्रवान* चित्र ही नहीं  चरित्र भी सुंदर है श्री राम का, नहीं मिलेगा कोई राम सा चरित्रवान शूर्पणखा का प्रस्ताव ठुकराया, पत्नी सीता का रखा मान *राम से पहले सीता  और शाम से पहले है राधा दोनों पूरक एक दूजे के, सृष्टि का भाग दोनों आधा आधा* *मातृ पितृ भगत* मात पिता के अति दुलारे, ऐसे थे श्री रघुराई *प्राण जाएं पर वचन न जाएं* ऐसी रीत राम ने निभाई **या तो मुख से मां निकले या निकले फिर राम का नाम जग में ये दोनों नाते सांचे राम ही तीर्थ राम ही धाम** *विनम्रता* अति विनम्र रहे श्री राम जी, कभी न पनपा चित में अहंकार शबरी के झूठे बेर खाए बड़े प्रेम से किसी भेद भाव की नहीं खींची दीवार लक्ष्मण को कहा करो ज्ञान ग्रहण रावण से, जबकि खुद ज्ञान के थे भंडार **मलिन मनों से हट जाते हैं सब धुंध कुहासे लिया जब भी प्रभु राम का नाम* *आज अभी इसी पल से जप लो जाने कब आ जाए जीवन की  शाम** *सत्यनिष्ठ* *सत्य से बड़ा कोई तप नहीं, सत्य ही ईश्वर ...