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अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता

वक्त की धूलि भी

वक्त की धूलि भी तेरी यादों को कभी धूमिल नहीं कर पाएगी कोई ऐसी भोर सांझ नहीं, जब तूं याद नहीं आएगी काल के कपाल पर चिन्हित हो गई है तूं मां जाई! व्यक्ति मरता है विचार नहीं, ऋतु आएंगी ऋतु जायेंगी

अपने ही घर बेटियां हो जाती हैं मेहमान

कुछ कर दर गुजर,कुछ कर दरकिनार

हर रंग कुछ कहता है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*हर रंग कुछ कहता है हर रंग की अपनी ही कहानी* *कभी धूप कभी छांव ऐसी ही तो होती जिंदगानी* *माधव सा हो रंगरेज अगर मन राधा राधा हो जाता है* *नाता प्रेम का इतना गहरा राधा नाम कान्हा से पहले आता  है* *बरसाने की राधा बसी है  रग रग में ऐसी, रोम रोम कान्हा का हो जाता है* *युगों युगों के बाद भी ये नाता दिन होली के महक ही जाता है* *निधि वन का रंग भी बहुत कुछ कहता है  मिल जाएंगी अनेकों प्रेम निशानी* *कभी धूप कभी छांव ऐसी ही तो होती है जिंदगानी* *मुझे तो इस फागोत्सव का  यही अर्थ समझ में आता है* *बेगाने भी हो जाते हैं अपने हर लम्हा खुशगवार बन जाता है* *होली पर्व है उल्लास का अपनत्व के अहसास का* *होली पर्व है स्नेह अनुराग का जैसे पुष्प में स्थान हो पराग का* *होली पर्व है हर मतभेद  मनभेद  भुलाने का* *पड गए हैं जो रिश्ते सर्द,  उनमें गर्मजोशी लाने का* *होली रंगों की सुंदर रंगोली है पर्व ये रास रचाने का* *होली इंद्रधनुष सात रंगों का  पर्व,प्रेम का अनहद नाद बजाने का* *होली इंद्रधनुष है 7 रंगों का, हर रंग कुछ न कुछ खास सार्थक  सिखाने का* *स्नेह,सौहार...

मां जाई(( दिल की कलम से स्नेह प्रेमचंद))

मां जाई! जीवन की सबसे मधुर शहनाई जी करता है बन के रहूं तेरी परछाई मां की कमी कर देती है पूरी तूं जैसे सहरा में चले ठंडी पुरवाई *जब संवाद खत्म हो जाता है फिर संबंध पड़ा सुस्ताता है* बखूबी जानती है इस बात की तूं गहराई *संवाद भी कायम रखती है संबंध को भी सींचे जाती है* मेरी छोटी सी बात को इतनी बात समझ में आई जिंदगी का जब परिचय हो रहा था अनुभूतियों से, है तब से मां जाई साथ तेरा मेरा पहर में से देना हो कोई नाम अगर कहूंगी मैं तुझे उजला सवेरा कोई राग नहीं कोई द्वेष नहीं कोई ग्रंथि नहीं कोई क्लेश नहीं सब अपने हम सबके सच में चित में कोई तेर मेर नहीं और परिचय क्या दूं तेरा??? आम पर तूं जैसे अमराई मेरी सोच की सरहद जाती है जहां तक,वहां तक नजर तूं आई मां जाई जीवन की सबसे मधुर शहनाई लम्हे बिताए जो संग तेरे बन जाते हैं ना भूली जाने वाली दास्तान मेरे व्यक्तित्व और अस्तित्व की सच में है तुझ से पहचान *सब हंस कर टाल देना कोई तुझ से सीखे* *सबको अपना बनाना कोई तुझ से सीखे* *किसी भी अभाव का कोई प्रभाव न होना,कोई तुझ से सीखे* एक बात जो तेरी मुझे सबसे अधिक भाती है मिलते हैं जो भी लम्हे संग बिताने के, तूं उन्हे...