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Everyday u get up(( thought Sneh premchand))

grow out of ur own fears(( thought Sneh premchand))

brain over beauty

क्या आप जो बने हो(( विचार स्नेह प्रेमचंद आर्ट ऐना))

कभी कभी

कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है कुछ लोगों को ईश्वर कितनी फुर्सत में बनाता है दिमाग तो देता ही है अच्छा दिल में भी करुणा भाव जगाता है ब्यूटी विद ब्रेन इस जग में कहीं कहीं नजर आता है कर्म करने की इच्छा बचपन से ही जगाता है इस फेरहिस्त में नाम तेरा मां जाई शीर्ष पर आता है उम्र छोटी पर कर्म बड़े मुझे तो यही समझ में आता है भाग्य नहीं सौभाग्य रहा ये मेरा जो बना तुझ से मां जाई का नाता है आसान नहीं था अंजु बनना तेरी जिंदगी के सफर के हर पड़ाव में कोई न कोई मार्ग अवरोधक आता है पर ना रुकी कभी न थकी कभी मां से यही मिला संस्कार तुझे सच में ऐसे लोगों को ईश्वर फुर्सत में बनाता है

अतीत वर्तमान और भविष्य

हौले हौले(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

पल,पहर,दिन,महीने साल बीत कर,एक दिन ये आ ही जाता है। कार्यक्षेत्र में कार्यकाल हो जाता है पूरा,समय अपना डंका बखूबी बजाता है।। हौले हौले अनेक अनुभव अपनी आगोश में समेटे,बरस 60 का इंसा हो जाता है, हो सेवा निवर्त कार्यक्षेत्र से,कदम अगली डगर पर वो फिर बढ़ाता है।। पल,पहर,दिन,महीने-------------आ ही जाता है।। ज़िन्दगी की आपाधापी में कई बार कोई शौक धरा रह जाता है, जीवनपथ हो जाता है अग्निपथ,ज़िम्मेदारियों में खुद को फंसा हुआ इंसा पाता है।। पर अब आयी है वो बेला, जब साथी हमारा खुशी से कार्यमुक्त हो कर अपने घर को जाता है, शेष बचे जीवन में, उत्तरदायित्व बेधड़क सहज भाव से निभाता है। पल,पहर,दिन,महीने,साल-------आ ही जाता है।। ज़िन्दगी का स्वर्णकाल माना हम कार्यक्षेत्र में बिता देते हैं, पर शेष बचा जीवन होता है हीरक काल,यह क्यों समझ नही लेते हैं।। सेवानिवर्त होने का तातपर्य कभी नही होता, क्रियाकलापों पर पूर्णविराम, किसी अभिनव पहल, या दबे शौक को बाहर आने का मिल सकता है काम।। यादों के झरोखों से जब झांकोगे,तो जाने कितने अनुभव अहसासों को पा जाओगे, कितनो को ही न जाने मिली ही न होगी अभिव्यक्ति, उन्हें इस दायरे में