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बच्चे संग मात पिता भी

कभी कभी

मित्रता एक सुखद अहसास

निरस्त नहीं

मित्र

कर्मों से भाग्य बदल डाला(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

राम से मर्यादा पुरूषोतम राम