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तूं चलता जा तूं बढ़ता जा

धरा सा धीरज उड़ान गगन सी(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*धरा सा धीरज उड़ान गगन सी* सुनीता विलियम्स धरा पर लौट कर आई है बहारों फूल बरसाओ संयम,इच्छाशक्ति और विवेक ने आत्मविश्वास से की सगाई है धैर्य की होती है जीत सदा आत्मविश्वास हो चित में  सफलता देती दिखाई है मन में हो गर दृढ़ निश्चय तो कुछ भी असंभव नहीं सच्चाई सबके सामने आई है लगता है ऐसे जैसे दिवाली पर कोई आ गया हो अपना जर्रे जर्रे में गूंजी शहनाई है थमी सांसें चलने लगी हैं मरुधर में चली पुरवाई है कितनी सुंदर भोर आज की जो एक परी आसमा से धरा पर आई है कवि इकबाल ने कहा था कभी सितारों से आगे जहां और भी हैं सुनीता जी उस जहां के अनुभव  को सहेज कर लाई है आपदा को बदला अवसर में अदभुत सोच कमाल विजन लगता मुझे दिखाई है 8 दिन का मिशन बदला 9 महीनों में,फ्लोरिडा तट पर  सुनीता आई हैं, अदभुत इच्छा शक्ति, ऐतिहासिक लम्हे,ऐतिहासिक दिन धरा पर हुई सुरक्षित वापसी अंतरिक्ष से एक परी आई है कई रिकॉर्ड कर लिए नाम अपने, आगामी पीढ़ियों के लिए वे तो लिविंग लीजेंड बन आई हैं एक ही रोज आ गई होली दिवाली दीप जलाने की बेला आई है विषम परिस्थितियों में भी वो बिखरी नहीं,निखर कर आई है हालात ...